| सरीवर सर… | ||||
| दूर दूर नभपार डोंगराच्या माथ्यावर | ||||
| निळे निळे गार गार पावसाचे घरदार | ||||
| सरीवर सर.. | ||||
| तडा तडा गार गारा गरा गरा फ़िरे वारा | ||||
| मेघियाच्या ओंजळीत वीज थिजलेला पारा | ||||
| दूरवर रानभर नाचणारा निळा मोर | ||||
| मोरपीस मखमल उतू गेले मनभर | ||||
| सरीवर सर.. | ||||
| थेंब थेंब मोती ओला थरारत्या तनावर | ||||
| शहार्याचे रान आले एका एका पानावर | ||||
| ओल्या ओल्या मातीतून भिजवेडी मेघधून | ||||
| फ़िटताना नवे ऊन झाले पुन्हा नवथर | ||||
| सरीवर सर.. | ||||
| उधळत गात गात पाय पुन्हा परसात | ||||
| माती मऊ काळी साय हूर हूर पावलात | ||||
| असे नभ झरताना घरदार भरताना | ||||
| आले जल गेले जल झाले जल आरपार | ||||
| सरीवर सर.. | ||||
| अशा पावसात सये व्हावे तुझे येणेजाणे | ||||
| उमलते ओले रान रान नव्हे मन तुझे | ||||
| जशी ओली हूर हूर तरारते रानभर | ||||
| तसे नाव तरारावे मझे तुझ्या मनभर | ||||
Friday, March 26, 2010
संदिप खरे...........सरीवर सर…
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